यानमेकं पश्यतु भो लाभा अस्य असंख्य भो पापयति एतत् लयं भो साधयति एतत् कार्य भो
समय : 09:55 AM | दिनाँक : 09/01/2021यानमेकं पश्यतु भो लाभा अस्य असंख्य भो पापयति एतत् लयं भो साधयति एतत् कार्य भो
किसी कविता की पंक्ति सी लग रही है यह रचना
इसका अर्थ निम्नवत् है –
यानम् एकं पश्यतु भो ! – अरे ! वो गाड़ी देखो (एक गाड़ी देखो)
लाभा अस्य असंख्य भो – इसके अनगिनत लाभ हैं
प्रापयति एतत् (आ)लयं भो – यह घर तक पहुँचाती है
साधयति एतत् कार्यं भो – यह (सारे) काम बनाती है
उक्त पंक्ति में कुछ वर्तनी दोष लग रहा था‚ उसे सही करके उसका अर्थ दिया है । यदि वर्तनीदोष न मानें तो अर्थ बदल भी सकता है ।